अमर शहीद प्रभु सिंह राठोड़
कश्मीर की बर्फिली चोटियो पर अपने शौर्य व पराक्रम की गौरव गाथाये अंकित करने वाले मरुधरा के वीरो में से एक प्रभु सिंह राठोड़़ जोधपुर जिले की शेरगढ़ तहसील के ग्राम खिरजा के रहने वाले थे। शहीद प्रभु सिंह का जन्म 23 नवम्बर 1991 को पिता श्री चन्द्र सिंह राठोड़ के घर माता श्रीमती राजूकंवर की पवित्र कोख से हुआ। चार बहनो रूप कंवर, अनेक कंवर, रेखा कंवर, तथा लक्ष्मी कंवर का इकलौता भाई था। शहीद प्रभु सिंह को सैन्य परम्परा विरासत में मिली थी इनके पिता भूतपूर्व सैनिक हैं। इनकी पाँच पिढि़या मातृभूमि की रक्षा में लगी रही जिनमे से तीन वीरों ने देश के लिए अपने प्राणो की आहुति दी। शहीद के चाचा हरिसिंह भी पूर्व सैनिक रहे हैं। परम्परा को कायम रखते हुए शाहिद प्रभु सिंह ने सेना में जाने का फेसला किया। शहीद स्वभाव मे शांत विवेकशील तथा कार्य में कुशल प्रवृत्ति के थे।स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के बाद 2011 भारतीय सेना में चयन हो गया।13 जुलाई 2013 को आपकी शादी वारांगना ओम कंवर से हुई। आपके दो पुत्रियां पलक 4वर्ष तथा गीता 15 माह की है। सन् 2014 में आप 57 राष्ट्रीय राईफल डेल्टा कंपनी माछिल सेक्टर कूपवाड़ा में तैनात थे। 22 नवम्बर 2016 को 16,000 फीट की उँचाई पर सीमा सहसा गहन जंगल में छिपे आंतकवादियो ने गोलियो की बौछार कर दी। उस दौरान आपके पैर में गोली लगी फिर भी आपने अत्यन्त सक्रियता से कमान संभाली और जवाबी हमले में आंतकवादियो को मुंह तोड़ जवाब देते हुए भारी क्षति पहुंचाई। भयंकर गोलीबारी में एक बुस्ट सीने पर लगा फिर भी आपने होसला बनाए रखा और अदम्य साहस के साथ लड़ते हुए आपको वीरगति प्राप्त हुई।शहीद होने के बाद पाक सैनिकों ने बर्बरता की हद पार करते हुए शहीद का सिर काटकर अपने साथ सीमा पार ले गये। शहीद प्रभु सिंह का पार्थिव शरीर उनके जन्मदिन के दिन गाँव पहुंचा। ये मंजर शहीद की पत्नी के लिए दिल दहला देने वाला था जब वीरांगना ने चीख पुकारते हुए अंतिम बार पति का चेहरा देखने की जिद्ध की तो सेना सहित किसी के पास कोई जवाब नहीं था। ऐसे में शहीद के पिता के दखल के बाद प्रभु सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया।शहीद की अंत्येष्टि श्मशान घाट के पास ही खेत में की गई जहाँ पर स्मारक बनाया गया है जिसका अनावरण 26 जून 2017 को वी.के.सिंह ( पूर्व थलसेना अध्यक्ष) के कर कमलो द्वारा किया गया। शहीद की वीरांगना ने बताया की पाकिस्तान ने मुझसे मेरी जिंदगी का चेहरा छीन लिया वो भी 25वें जन्मदिन के ठीक एक दिन पहले। मेरे साथ इतना बुरा होगा की में अपने पति के अंतिम समय पर उनकी सुरत भी नहीं देख पाउंगी। ऐसा ख्याल कभी जहन में नहीं आया। शहीद के पिता चन्द्र सिंह ने बताया की मेरे प्रभु को भूल नहीं सकता। वो मुझे जिंदगी भर हर पल याद आता रहेगा। लेकिन मेरे बेटे ने अपने लिए नहीं बल्कि देश की रक्षा की खातिर गोली खाई है। हाल ही में प्रभु सिंह की शहादत के चार महीने बाद उनकी दुसरी बेटी ने जन्म लिया। परिवार वाले इसे शहीद की निशानी मान रहे हैं।


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